ज्योतिषाचार्यो के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में जन्मे बच्चे का भविष्य जानिए

आकाश के तारो को समूह को नक्षत्र कहा जाता है। आकाश में कुल 27 नक्षत्र है। नक्षत्रो का स्वामी चंद्रमा है। उनमे से रोहिणी नक्षत्र चौथे नंबर पर आता है। रोहिणी नक्षत्र पांच तारो का जूथ है।

रोहिणी नक्षत्र अवकाश में भूसे की गाड़ी जैसे आकार में फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा में रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है।

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे लोग दयालु और दिल से सोचने वाले लोग होते है। अवकाश में चौथे नक्षत्र रोहिणी का मतलब लाल होता है। वृषभ राशि में नक्षत्र रोहिणी के 4 चरण होते है।

वृष राशि के मस्तक रोहिणी नक्षत्र को कहा जाता है। रोहिणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। रोहिणी चन्द्रमा की पत्नी है। चंद्रमा की सत्ताईस की पत्नी है।

चंद्रमा की सभी पत्नियों में से रोहिणी दिखने में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सवेदनशील है। चंद्र जब रोहिणी के पास जाता है, तब वह ज्यादा प्रकाश से खिल उठता है।

रोहिणी के देवता ब्रह्माजी है। रोहिणी कई बार चंद्र से एकाकार होकर छुप जाती है। रोहिणी के जातक रुपसुंदर, संपादन, सवेंदनशील, नम्र तेजस्वी, हमेंशा प्रगतिशील और मानसिक रूप से तंदुरस्त होते है।

रोहिणी नक्षत्र में जन्मी स्त्री पवित्र पति प्रेम, सुंदर, माता-पिता की सेवा भावी होती है। इस नक्षत्र में जन्मेली स्त्री की आँखे विशाल होती है और महिलाये बिलकुल स्वस्थ रहती है।

रोहिणी नक्षत्र 4 चरण

प्रथम चरण

प्रथम चरण मंगल द्वारा प्रशासित मेष राशि के नया भाग(नवजात शिशु) में पड़ता है। अश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर कोई अशुभ प्रभाव नहीं होगा।

द्रितीय चरण

रोहिणी नक्षत्र के दूसरा चरण में शुक्र से प्रबधित होकर वृषभ राशि के नए भाग पर प्रभाव पड़ता है। दूसरे चरण में जन्म होने पर धन हानि होती है। इस चरण में जन्म लेने वाले बच्चे धनवान होते है। इसकी वजह से सामाजिक कार्य या सबंध ज्यादा होता है।

तृतीय चरण

तृतीय चरण का प्रभाव बुध ग्रह से प्रभावित मिथुन राशि के नए भाग में पड़ता है। तीसरे चरण में माता को गंभीर दोष देता है। रोहिणी नक्षत्र में जन्मे लोगो में धैर्य की कमी होती है। जिसकी वजह से कई बार धंधे या व्यवसाय में नुकसान कर देते है। ऐसे व्यक्ति को विज्ञान ज्यादा पसंद होता है।

चतुर्थ चरण

चतुर्थ चरण का प्रभाव चंद्र के द्वारा कर्क राशि के नये भाग में पड़ता है। चरण में जन्म लेने वाला व्यक्ति पिता के साथ अच्छे सबंध नहीं होते। यह व्यक्ति धार्मिक भावना रखता है। नौकरी से ज्यादा व्यवसाय में रूचि रखता है।

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे बच्चे कैसे होते है?

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मे लोग दयालु और शांत स्वभाव के होते है। वह लोग किसी पर इर्षा का भाव नहीं रखते। वो लोग दिमाग की कम और दिल की ज्यादा सुनते है। ऐसे व्यक्ति दुसरो की मदद के लिए हमेंशा आगे रहते है।

रोहिणी नक्षत्र के देवता कौन है?

रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रह्माजी है।

रोहिणी का अर्थ क्या होता है?

रोहिणी एक लड़की का नाम है। इनका अर्थ गाय या तारा होता है। रोहिणी चंद्र की सताईस वी पत्नी का नाम है जो सबसे सुंदर और कोमल स्वभाव की थी।

रोहिणी नक्षत्र में कौन से भगवान का जन्म हुआ था?

रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।

रोहिणी नक्षत्र के गुण क्या है?

रोहिणी नक्षत्र के गुण में जन्मे व्यक्ति सुन्दर और मीठा बोलने वाले होते हैं। रोहिणी नक्षत्र वाले महेनत से काम ज्यादा करते हैं। ऐसे व्यक्ति कल्पनाशील और दिल से सोचते है

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