श्रीकृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान है। कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था। जब जब धरती पर पाप और अधर्म बढ़ता है, तब उसको मिटाने विष्णुजी धरती पर जन्म लेते है। कृष्ण भगवान विष्णु का एक अवतार है।
कान्हा का बचपन माता यशोदा और नंद के साथ बिताया है। कनैया की माता देवकी और पिता वासुदेव को मामा कंस ने कारावास में बंध कर दिया था। जन्माष्टमी 2023 गुजरात में गुरुवार 7 सितम्बर को आनेवाली है।
कंस से बचाने के लिए कृष्ण का जन्म होते ही वासुदेव कान्हा को गोकुल अपने चचेरे भाई नंदबाबा और माता यशोदा के पास सोप आये। कान्हा ने बचपन में कई कृष्ण लीला की है, और कई चमत्कार दिखाए है।
श्रीकृष्ण का जन्म लोग धूमधाम से मनाते है। यह जन्माष्टमी हिन्दू त्यौहार है। कृष्ण विष्णुजी के दशावतारों में से आठवे और चौबीस अवतारों में से बाइसवे अवतार है।
जन्माष्टमी त्यौहार कृष्ण पक्ष(अँधेरे पखवाड़े) के आठवे दिन अष्टमी को भाद्रपद में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत ही धूमधाम और श्रध्धा भाव के साथ मनाया जाता है।
जन्माष्टमी व्रत के नियम
जन्माष्टमी के दिन जो व्यक्ति व्रत करता है वो दिनभर फल और पानी ग्रहण कर सकता है। लेकिन सूर्यास्त के बाद पानी नहीं पी सकते है। 12 बजे कृष्ण जन्म के बाद पानी पी सकता है।
व्रत करने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन लेना चाहिए। उसके साथ सात्विक विचार बी रखने चहिये। जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के भजन गाये और आराधना करनी चाहिए।
धरती पर कंस के आंतक और अत्याचार को मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। इसी कथा के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
krishna janmashtami का महत्व
महापुराणों में कहा गया है, भगवान विष्णु के त्रिदेवो में से एक अवतार है। श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर हर घर में उत्सव मनाया जाता है। कृष्ण के आशीर्वाद पाने के लिए जन्माष्टमी में मध्यरात्रि कान्हा की पूजा अर्चना करते है।
इस दिन मंदिरो को सजाया जाता है। सब भजन कीर्तन करते है और जन्मोत्सव मनाते है। कई लोग घरमें भी कान्हा का जन्म धूमधाम से मनाया जाता है।
जन्माष्टमी कैसे मनाते है?
जन्माष्टमी के दिन मंदिरो को विशेष तरिके से सजाया जाता है। मंदिरो में कान्हा को झूलाने का पालना (janmashtami decoration) सजाते है। बल गोपाल का जन्म मध्यरात्रि हुआ था। उस दिन भक्त उपवास रखते है।
भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है। जन्माष्टमी के दिन घर में मध्यरात्रि को कान्हा का जन्मदिन मनाया जाता है। कान्हा को स्नान कराके सुंदर वस्र पहनाये जाते है।
कान्हा को पालने में बैठाकर धूप-दिप करके वंदन करते है। कान्हा के लिए भोग तैयार किया जाता है। कान्हा को मख्खन, दूध, दही जैसे भोग पसंद है। कान्हा को भोग अर्पित करके बादमें सबको प्रसाद वितरित किया जाता है।
जन्माष्टमी व्रत में पानी कब पीना चाहिए?
जन्माष्टमी के दिन जो व्यक्ति व्रत करता है, वो फल और पानी ग्रहण कर सकता है। लेकिन सूर्यास्त के बाद पानी पीना वर्जित है इसीलिए सूर्यास्त के बाद पानी नहीं ग्रहण कर सकते है। कान्हा का जन्म मध्यरात्रि को हुआ था इसीलिए जन्म के बाद पानी ग्रहण करना चाहिए।
जन्माष्टमी के व्रत में चाय पी सकते हैं?
जो व्यक्ति व्रत करता है उसे जन्माष्टमी के व्रत में चाय पी सकते है। लेकिन खाली पेट दिन में एक या दो बार ही चाय पी सकते है, क्योकि खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी जैसी समस्या हो जाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र क्या है?
हाथ में जल, अक्षत, फूल या केवल जल लेकर भी यह संकल्प मंत्र बोलें, क्योंकि बिना संकल्प किए पूजन का फल नहीं मिलता है। और मनमें मंत्र बोले “यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्रीजन्माष्टमी पूजनं महं करिष्ये।”
जन्माष्टमी कब है?
गुजरात में जन्माष्टमी 7 सितम्बर 2023 को है। उस दिन कान्हा के भक्तो घरमें और मंदिरो में कान्हा का जन्मदिन मनाएंगे।