श्रीकृष्ण, जन जन के प्रिय भगवान हैं। सौम्य, सुंदर, दिव्य और मनमोहक रुप वाले और नटखट स्वभाव वाले श्रीकृष्ण के कई नाम और कई रुप हैं। श्रीकृष्ण का बाल रूप तो भक्तों में बहुत ही लोकप्रिय है।
भक्त उनमें अपने बालक की छवी देखते हैं और उनका बालक भी श्रीकृष्ण की तरह हो, ये कामना करते हैं। यूं तो श्रीकृष्ण का पूरा जीवन ही लीलाओं और लड्डू गोपाल के चमत्कार से भरा हुआ है, लेकिन बाल रुप में भी श्रीकृष्ण ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
कई महाग्रंथों में भी, श्रीकृष्ण के बाल रुप का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है। लड्डू गोपाल भी श्रीकृष्ण का ऐसा ही एक बाल रुप हैं जो भक्तों में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
लड्डू गोपाल के रुप में श्रीकृष्ण की मूर्ति को अनेक लोग अपने घर में रखते हैं और उनकी बिल्कुल एक जीते जागते बालक की तरह ही देखभाल करते हैं। श्रीकृष्ण का ये मनमोहक बाल रुप बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है।
इनके आशिर्वाद से बहुत से असंभव कार्य पूरे होते हैं। लोग श्रीकृष्ण के इस बाल रुप में अपने बालक की छवी देखते हैं और ऐसे ही बालक की कामना करते हैं। साथ ही निसंतान दंपति को संतान प्राप्ति के लिए अपने घर में विशेष रूप से लड्डू गोपाल की मूर्ति रखने की सलाह दी जाती है।
लेकिन जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि घर में किसी भी भगवान की स्थापना करने के लिए, कुछ नियमों का पालन करना जरुरी होता है, उसी तरह घर में लड्डू गोपाल की मूर्ति लाने, उसे मंदिर में स्थापित करने और उनकी सेवा करने के भी कुछ नियम होते हैं। यहां तक कि उनकी मूर्ति कैसी और कितनी बड़ी होनी चाहिए, इसका भी नियम होता है। तो चलिए आज हम ये सब बातें जान लेते हैं।
लड्डू गोपाल की पूजा के नियम
सबसे बड़ा नियम तो ये है कि, लड्डू गोपाल की सेवा पूरी जिम्मेदारी के साथ उसी तरह करनी चाहिए, जैसे हम किसी छोटेसे बालक की देखभाल करते हैं, जिसे हमारी देखरेख की जरूरत उसी तरह हैं, जैसे घर के सबसे नन्हे बालक को होती है।
प्रतिदिन सुबह उठकर लड्डू गोपालजी को स्नान कराया जाता है और जैसा मौसम हो उसके अनुसार स्वच्छ कपड़े पहनाए जाते हैं। उसके बाद दिन में चार बार, नियत समय पर नाश्ते और खाने का भोग लगाया जाता है। उन्हें खेलने के लिए खिलौने दिए जाते हैं, समयसमय पर उन्हें बाहर घुमाने भी लेकर जाया जाता है।
लड्डू गोपाल की सेवा धूप, गर्मी, थंडी, बारिश जो भी मौसम हो, उनसे उनका बचाव ठीक उसी तरह किया जाता है, जैसे हम खुद अपना और अपने परिवारवालों का करते हैं। उनके सोने और आराम करने के लिए नर्म मुलायम बिछौने की व्यवस्था की जाती है।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव या श्रीकृष्ण के जन्मदिवस या किसी विशेष अवसर को, धूमधाम से मनाया जाता है। समय समय पर उनके लिए नए कपड़े लाए जाते हैं। और इस बात का तो खास ध्यान रखा जाता है कि जैसे हम अपने घर के किसी भी छोटे बच्चे को अकेला नहीं छोड़ते है, वैसे ही लड्डू गोपालजी को भी कभी भी अकेला नहीं छोड़ना हैं।
यदि जाना जरूरी है तो उन्हें भी अपने साथ लेकर जाना चाहिए। अब जान लेते हैं कि, लड्डू गोपाल की मूर्ति की स्थापना कैसे करे और उनकी मूर्ति कितनी बड़ी होनी चाहिए।
लड्डू गोपाल पूजन विधि
घर में लड्डू गोपालजी की स्थापना भी विधिपूर्वक करनी चाहिए। ये विधी चार दिनों तक चलती है, जिसे घर के किसी अनुभवी व्यक्ति या पंडितजी की सहायता लेकर करनी चाहिए।
स्थापना करने के बाद उन्हें लड्डू गोपाल की आरती, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करके दूध,दही, माखन, मिश्री का भोग लगाना चाहिए, जो कि श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुएं हैं । एक बार स्थापित कर देने के बाद, अभी हमने देखी उस तरह से रोज सेवा करनी चाहिए।
लड्डू गोपाल की मूर्ति कितनी बड़ी होनी चाहिए
अब हम जान लेते हैं कि, लड्डू गोपाल की मूर्ति कितनी बड़ी होनी चाहिए। तो शास्त्रों के अनुसार, घर में किसी भी भगवान की मूर्ति, बहुत ज्यादा बड़ी | laddu gopal ki badi murti नहीं होनी चाहिए। मूर्ति बहुत छोटी यानी कि आपके अंगूठे जितनी या फिर लगभग तीन इंच की होनी चाहिए। इसलिए घर में लड्डू गोपालजी की मूर्ति लाते समय भी इस बात का ध्यान जरुर रखें कि मूर्ति छोटी ही हो और कहीं से भी टूटी हुई बिल्कुल ना हो।
क्या घर में दो लड्डू गोपाल रख सकते हैं?
घर में एक लड्डू गोपाल और दूसरे लड्डू गोपाल बलराम के भाव से रख सकते है।
लड्डू गोपाल की मूर्ति कितनी बड़ी होनी चाहिए?
शास्त्र के अनुसार घर में या कार्यालय में 3 इंच से मूर्ति बड़ी नहीं होनी चाहिए। क्योकि बड़ी मूर्ति रखने से उनकी खास नियम से सेवा पूजा करनी पड़ेगी। अगर आप ऐसा न करो तो अशुभ माना जायेगा।
लड्डू गोपाल को जगाने का मंत्र क्या है?
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।।
लड्डू गोपाल खंडित हो जाए तो क्या करें?
लड्डू गोपाल की मूर्ति खंडित हो जाये तो पूरी श्रध्धा से विसर्जन करना चाहिए।
खंडित मूर्ति का विसर्जन कैसे करें?
मूर्ति का विसर्जन श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए नहीं की मंदिर या पेड़ निचे रख देना नहीं चाहिए। किसी तालाब या नदी में विसर्जन मुमकिन न हो तो किसी गुरु या ब्रामण को दे दीजिये।
मूर्ति का विसर्जन किस दिन करना चाहिए?
गणपति की दस दिन तक पूजा अर्चना करके गणपति की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, इसीलिए मूर्ति का विसर्जन अनंत चतुर्थी के दिन करना उत्तम माना जाता है। ।