छोटे बच्चों को नींद क्यों नहीं आती कारण और उपाय जानिए | अनिद्रा से बच्चे के विकास पर क्या प्रभाव होगा

कई बार हमे नींद की शिकायत रहती है। ऐसा नहीं होता की सिर्फ बड़ो को ही नींद की शिकायत होती है। छोटे बच्चो को भी नीद की शिकायत रहती है की नवजात शिशु को नींद न आना

बहोत सारे माता-पिता की यह शिकायत रहती है की हमारा बच्चा रात में सोता नहीं है। ज्यादा शिकायत जो पहली बार यानी की नई माता-पिता बने है उनकी होती है। कई लोग बच्चों की नींद का टोटका भी करते है।

नवजात शिशु को नींद न आने का कई सारी वजह होती है। कई बार बच्चा दिन में ज्यादा सोता है इसीलिए रात में उसको नींद नहीं आती। बच्चों की नींद का सिरप और आयुर्वेद में नींद आने की दवाडॉक्टर की सलाह के अनुसार देना चाहिए।

छोटे बच्चो को उनकी उम्र के हिसाब से उतना सोना ही चाहिए क्योकि ऐसा न करने से बच्चे पर मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है।

नवजात शिशु दिन में ज्यादा सोने के कारण रात में नींद नहीं आती बच्चे की इसी आदत के कारण माता को नीद पूरी न होने से थकन महसूस होती है।

नींद न पूरी होने की वजह से क्या होता है?

  • मानसिक विकास में कमी
  • बच्चे में चिड़चिड़ापन आ जाना
  • बच्चा पुरे दिन रोता है
  • दिन में ज्यादा सोना
  • थकावट रहना
  • ऊर्जा शक्ति की कमी

छोटे बच्चे में अनिद्रा के लक्षण क्या होते है?

  • भूख

बच्चे का पेट सही तरिके से भरा ना हो तो बच्चे को नीद नहीं आती है। इसीलिए बच्चे को दूध पिलाके सुलाए।

  • वातावरण बदलना

ज्यादा गर्मी या ठंडी पड़ने के कारण बच्चे को नीद नहीं आती।

  • डर या अन्य समस्या

बच्चे को अँधेरे से डर लगता है। नवजात शिशु को नींद न आना शिशु जैसे बड़ा होता है वैसे उनको किसी नजदीकी व्यक्ति से बिछड़ने का डर या कोई आवाज से दर जाना है। ज्यादा शोर, लाइट चालू हो या नेपि गिला होने की वजह से भी बच्चे को नीद नहीं आती है।

  • किसी बीमारी या दर्द होना

कोई शारीरिक समस्या या कान दर्द, शर्दी की वजह से बुखार या दाँत आने की वजह से तकलीफ होना ऐसे कई वजह से शिशु को नींद आने में परेशानी रहती है।

बच्चे को कब और कितनी देर तक सोना चाहिए

नवजात शिशु दिन में जन्म से डेढ महीने तक 8 से 9 घंटे सोता है। रात को पूरी रात यानि की 8 घंटे सोता है। इसका मतलब यह है की बच्चा दिन में ज्यादा और रत को काम सोता है।

डेढ़ से तीन महीने के एक साथ आठ घंटे नहीं सोते है। छोटे बच्चे 2-3 घंटे सोते फिर खाने के लिए जागते है और फिर से 2-3 घंटे सो जाते है। जैसे जैसे बच्चे बड़े होते जाते है वैसे वह दिन में काम और रात में ज्यादा सोते है।

एक साल का बच्चा दिन में 3 या 4 घंटे सोता है और रात को 10-11 घंटे सोता है। जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है वैसे ही बच्चे एक साथ में नींद करने लगते है।

नवजात शिशु का पर्याप्त सोना क्यों जरूरी है?

  • बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है।
  • नींद पूरी हो जाने के कारण बच्चा दिन में अच्छे मूड में रहता है।
  • पर्याप्त नीद करने से बच्चा स्वस्थ और ऊर्जावान रहता है।
  • शिशु की यादशक्ति पर अच्छा असर पड़ता है।
  • छोटे बच्चे के बदलते हॉर्मोन्स पर प्रभाव पड़ता है।

नवजात शिशु को सुलाने के लिए किसी दवाई की सहायता ले सकते है?

नहीं, शिशु भोत छोटे होते है इसीलिए उन्हें नींद की दवा देना हानिकारक हो सकता है। नींद की दवाई देने से बच्चे मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। बच्चे को नींद नहीं आ रही है तो डॉक्टर की सलाह ले सकते है।

बच्चे के अनिद्रा के लक्षण कैसे होते है?

बच्चे की पूरी नीद न होने से या उसमें चिड़चिड़ापन हो जाना, पुरे दिन रोना, सुबह उठने के बाद नींद में होना, दिन में झबकी लेना आदि लक्षण होते है।

नवजात शिशु को कितने घंटे सोना जरुरी है?

शिशु को 24 घंटे में से 15-17 घंटे सोना जरूरी है। स्तनपान करने वाले बच्चे कई बार खाने के लिए उठते है। कई बच्चे 18-19 घंटे सोते है। बोतल से दूध पिने वाले बच्चे ज्यादा समय सोते है।

बच्चे में अनिद्रा किसे कहते है?

अनिद्रा का मतलब बच्चे को रात में सोने को परेशानी और ज्यादा देर तक नींद न आना इसे अनिद्रा कहते है।

नींद न पूरी होने के वजह से बच्चे के शरीर पर क्या असर होता है?

नींद के समय हमारे शरीर में ऐसे हॉर्मोंस बनाता है जो मांसपेशियों और केशिकाओं को ठीक करता है। बचपन में नींद की कमी से युवावस्था में मानसिक विकास में कमी आ सकती है।

नवजात शिशु को कितने घंटे सोना चाहिए?

शिशु को 24 घंटे में से 15-17 घंटे सोना जरूरी है। स्तनपान करने वाले बच्चे कई बार खाने के लिए उठते है। कई बच्चे 18-19 घंटे सोते है। बोतल से दूध पिने वाले बच्चे ज्यादा समय सोते है।

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