भगंदर का देसी इलाज क्या है?

मानव गुदा में होने वाली समस्या को भगंदर कहते है। भगंदर में गुदा द्वार या इसके आस पास होनेवाली छोटी फुंसिया हो जाती है और इस समस्या से जल्दी छुटकारा भी नहीं मिलता है।

यह समस्या पर ध्यान न देने से या कोई इलाज न करने से दिन ब दिन बढ़ती जाती है, जैसे की गुदा के हिस्से पर घाव होने लगते है। इसकी वजह से खुजली और दर्द होता है।

भगंदर में जिसको होता है, उस व्यक्ति को चलने फिरने में, सीधे सोने में, कुर्सी पर बैठने मैया समतल जगह बैठने और टॉयलेट करते समय आँख में आंसू आ जाये इतनी ज्यादा पीड़ा होती है।

भगंदर आंतरिक और बाह्य ऐसे दो प्रकार के होते है। आंतरिक भगंदर में दर्द कम होता है और बाह्य भगंदर में दर्द ज्यादा होता है। सिर्फ एक भगंदर होता है तो सामान्य माना जाता है लेकिन एक से अधिक हो तो जटिल माना जाता है।

अगर भगंदर शरुआत है तो आयुर्वेदिक उपचार सकते है, लेकिन ज्यादा समस्या है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर भगंदर की दवाईया , घरेलु या आयुर्वेदिक उपचार की सलाह देंगे।

भगंदर के लक्षण

जिस इंसान को भगंदर होता है, इसको गुदा के आसपास की जगह पीली हो जाती है। मल द्वार के पास फोड़ा की तरह बन जाता है इसमें मवाद भर जाता है।

समय पर ईलाज न करवाने से भगंदर दूसरी तरफ भी बढ़ने लगता है। दोनों तरफ बढ़ने के कारण मरीज को और ज्यादा समस्या और असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है।

भगंदर की पहचान क्या है?

  • गुदा द्वार के बाल साफ न करना
  • गुदा द्वार की जगह ज्यादा खुजली करना
  • ज्यादा समय तक एक ही जगह बैठे रहना
  • गुदा द्वार की ठीक से सफाई न करना
  • पुराना कब्ज होना
  • गुदा द्वार पर चोट लगना
  • अधिक मिर्च मसालेदार चीजे खाना
  • शराब पीना या सिगरेट पीना
  • डायबिटीस

भगंदर का देसी इलाज क्या है?

काला तिल

काले तिल का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है। दूध के साथ काले तिल का सेवन कर सकते है। यह स्किन को मुलायम बनाता है, पेशाब के संबधित धाव को भरता है और घाव को सुखाने भी मदद करता है।

त्रिफला

त्रिफला का चूर्ण या टेबलेट में एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो भगंदर की समस्या को आगे बढ़ते रोकने में मदद करता है। भगंदर में गुदा में इंफेक्शन का खतरा रहता है इसीलिए त्रिफला से राहत मिलती है। त्रिफला रोग प्रतिकारक शक्ति को मजबूत बनाता है।

पतंजलि दवा

भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज भगंदर का इलाज की कई सारी दवाईया है।

अनार के पत्ते

अनार से शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है। अनार के पत्ते भी गुणकारी होते है, जो कई बीमारियों से बचाने का काम करते है। अनार के पत्ते को पानी में उबाल के उस पानी से भगंदर वाले हिस्से को धोने से लाभ होगा।

भगंदर में क्या खाना चाहिए?

  • तेल, मिर्च और मसाले का सेवन कम मात्रा में करें।
  • सुबह जल्दी उठकर साधारण गर्म पानी पिए।
  • खट्टा न खाये।
  • सही समय पर भोजन करें।
  • अधिक गर्म या ठंडा खाना न खाये।

भगंदर क्यों होता है?

  • बार बार कब्ज होना
  • पेट में सूजन आना
  • मल द्वार के आस पास जलन होना
  • बुखार में ठंडी लगना
  • हर वक्त थकान महसूस होना
  • मल द्वार के पास फोड़े निकलना
  • टॉयलेट करते समय पीड़ा होना

भगंदर में क्या खाना चाहिए?

फिस्टुला में पुराना शाली चावल ,गेहूं, जौ, हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, केला , सेब, आंवला, खीरा, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, रेशेदार युक्त फल, अरहर, मूँग दाल, मसूर खाना चाहिए।

भगंदर का लेजर ऑपरेशन खर्च कितना है?

भगंदर का लेजर ओपरेशन में सब राज्यों में अलग-अलग होता है, 10000 से 50000 के आसपास खर्च होता है।

भगंदर का सही इलाज क्या है?

भगंदर अपने आप ठीक नहीं होता। उसके लिए लेजर की सर्जरी को उत्तम मन जाता है।

भगंदर कैसा दिखता है?

मरीज को गुदा के पास फोड़ा या घाव निकलता है और फोड़ा फुट जाने से खून बहता है। टॉयलेट करते समय असहनीय दर्द होता है।

भगंदर की पहचान क्या है?

मल द्वार के आसपास छोटे-छोटे फोड़े निकलना, मल द्वार के पास की जगह पीली हो जाना, खुजली आना आदि कारण पहचान हो सकती है।

भगंदर कितने दिनों में ठीक होता है?

भगंदर सर्जरी के बाद 30 से 40 दिन ठीक होने में लगता है।

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