शनि की साढ़ेसाती क्या है कितने समय रहती है | शनि की साढ़े साती के लक्षण

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि की साढ़े साती के लक्षण की वजह से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तंगी, विवाह में देरी, कलह, बच्चे न होना आदि का सामना करना पड सकता है।

जातक को ऐसा लगता है सारी परेशानिया शनि के प्रभाव से होती है। लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता है व्यक्ति को अपने कर्मो के हिसाब से फल मिलता है।

जीवन में आनेवाली समस्या शनि के प्रभाव और लक्षण से पता चल जाती है। शनि की साढ़ेसाती शुरू होने वाली है। कई बार उनका प्रभाव अच्छा और अशुभ होता है।

शनि की साढ़ेसाती क्या है?

शास्त्रों के अनुसार सात साल तक चलने वाली दशा को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। शनि को राशि चक्र में लगभग 30 वर्ष लगता है। शनि एक राशि में डेढ़ साल तक रहता है।

शनि एक साथ तीन राशि को प्रभावित करता है। इसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश करता है। जो राशि में शनि की साढ़ेसाती चल रही होती है उस राशि के जातक मानसिक, शारीरिक, आर्थिक तंगी और कलह से पीड़ित रहते है।

शनि की साढ़े साती के लक्षण

  1. आपके सिर की चमक गायब हो जाएगी माथे पर काला रंग दिखने लगेगा।
  2. अपना मान-सन्मान ख़राब होने के डर से परेशान रहना।
  3. कोई भी बात पर जल्दी गुस्सा आ जाना।
  4. आपकी वाणी कठोर और कड़वी बन जाना।
  5. आपकी हथेली की रेखा काले या नीले रंग की हो जाना।

शनि की साढ़ेसाती के चरण

शनि एक राशि में डेढ़ साल की होती है। शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते है।

  1. पहला चरण में जातक मानसिक रूप से परेशान रहता है। इसमें जातक का स्वभाव और वाणी कठोर हो जाती है। बात बात पर गुस्सा आता है।
  2. दूसरा चरण में शारीरिक और आर्थिक रूप में कष्टदायक होता है। इनमें जातक को बड़ी बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। कोई जगह बड़ा आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।
  3. तीसरा चरण जातक के लिए लाभदायक रहता है। इस छान में शनि की साढ़ेसाती अच्छी मानी जाती है। क्योकि तीसरे चरण में शनि सभी नुकसान की भरपाई करते है।

शनि की साढ़े साती के लाभ

शनि की साढ़े साती के लक्षण शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती को कष्टदायी माना जाता है। लेकिन सभी वयक्ति के लिए शनि की साढ़ेसाती अशुभ नहीं होती है। कई जातक के लिए शुभ और लाभ दायक होती है

शनि की साढ़े साती के लाभ जातक को कई बार अपेक्षा से ज्यादा लाभ, वैभव और सन्मान की प्राप्ति होती है। जिस राशि में अगर चन्द्रमा उच्च स्थान पर हो तो सहनशक्ति अधिक और कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

अगर लग्न मकर, मिथुन, वृषभ, तुला और कुंभ राशि में ही तो शनि कष्ट नहीं देता है बल्कि शनि से सहयोग मिलता है। अगर शनि लग्न कुंडली और शनि कुंडली में शुभ है को शनि कष्टदायक नहीं होता है।

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